परम पूज्य श्री श्री 1008 मुनिजी फलाहारी महाराज जी समझाते हैं)
आप सभी को मेरा प्रणाम! जब हम भगवान शिव की कृपा और उनके आशीर्वाद की बात करते हैं, तो ‘रुद्राभिषेक’ का नाम सबसे पहले आता है। यह एक ऐसा पवित्र अनुष्ठान है जिसकी महिमा वेदों और पुराणों में वर्णित है। लेकिन रुद्राभिषेक क्या है? इसे क्यों किया जाता है? और इसके पीछे छिपे गहरे आध्यात्मिक अर्थ क्या हैं? आइए, मेरे साथ इन प्रश्नों के उत्तर खोजते हैं और इस दिव्य अनुष्ठान के महत्व को समझते हैं।
1. रुद्राभिषेक क्या है? – शब्द का अर्थ और उसका मर्म
‘रुद्राभिषेक’ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है: ‘रुद्र’ और ‘अभिषेक’।
- रुद्र: ‘रुद्र’ भगवान शिव का एक नाम है, जो उनके उग्र और प्रलयंकारी स्वरूप को दर्शाता है। रुद्र का अर्थ ‘दुखों का नाश करने वाला’ या ‘कष्टों को हरने वाला’ भी है। यह शिव का वह स्वरूप है जो पापों और नकारात्मक शक्तियों का संहार कर अपने भक्तों का कल्याण करता है।
- अभिषेक: ‘अभिषेक’ का अर्थ है स्नान कराना या विशेष सामग्रियों से देवताओं की प्रतिमा को पवित्र करना। यह जल, दूध, दही, घी, शहद, गन्ने का रस, पंचामृत आदि विभिन्न द्रव्यों से किया जाने वाला एक अनुष्ठान है।
इस प्रकार, रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान शिव के रुद्र स्वरूप का विभिन्न पवित्र द्रव्यों से अभिषेक करना, ताकि वे प्रसन्न हों और भक्तों के सभी कष्टों को दूर कर उनका कल्याण करें।
मुनिजी बताते हैं कि यह केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक और आध्यात्मिक प्रक्रिया है। मंत्रों के साथ जब पवित्र द्रव्यों को शिवलिंग पर अर्पित किया जाता है, तो एक विशेष प्रकार की ऊर्जा उत्पन्न होती है जो वातावरण को शुद्ध करती है और भक्त के मन को शांति प्रदान करती है। यह हमारी ऊर्जा को शिव से जोड़ने का एक माध्यम है।
2. रुद्राभिषेक क्यों किया जाता है? – उद्देश्य और लाभ
रुद्राभिषेक विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जाता है, और इसके लाभ अत्यंत व्यापक माने जाते हैं:
- मनोकामना पूर्ति: यह सबसे प्रमुख कारण है। भक्त अपनी विशिष्ट इच्छाओं (जैसे विवाह, संतान प्राप्ति, धन-धान्य, रोग मुक्ति, परीक्षा में सफलता) की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक करवाते हैं। शिव शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं, और वे अपने भक्तों की सच्ची श्रद्धा से की गई प्रार्थनाओं को सुनते हैं।
- पापों का नाश और मुक्ति: माना जाता है कि रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति के ज्ञात-अज्ञात सभी पापों का नाश होता है। यह कर्मों के नकारात्मक प्रभावों को कम करता है और व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से शुद्ध करता है, जिससे मोक्ष की ओर अग्रसर होने में सहायता मिलती है।
- रोग मुक्ति और स्वास्थ्य लाभ: असाध्य रोगों से मुक्ति और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए भी रुद्राभिषेक बहुत प्रभावी माना जाता है। महामृत्युंजय मंत्र के साथ किया गया रुद्राभिषेक विशेष रूप से स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है।
- शत्रु बाधा निवारण: यदि व्यक्ति शत्रुओं से पीड़ित है या किसी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों का सामना कर रहा है, तो रुद्राभिषेक से इन बाधाओं को दूर किया जा सकता है। रुद्र स्वरूप शत्रुओं का संहार कर भक्तों की रक्षा करता है।
- ग्रह शांति और कुंडली दोष निवारण: ज्योतिष शास्त्र में भी रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है। कुंडली में मौजूद किसी ग्रह दोष या अशुभ प्रभाव को शांत करने के लिए यह एक शक्तिशाली उपाय माना जाता है। खासकर शनि, राहु और केतु जैसे ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में यह सहायक होता है।
- घर में सुख-शांति और समृद्धि: पारिवारिक कलह, अशांति या आर्थिक समस्याओं को दूर करने और घर में सुख-समृद्धि लाने के लिए भी रुद्राभिषेक किया जाता है। यह घर के वातावरण को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।
- मृत्यु भय से मुक्ति: शिव को ‘महाकाल’ कहा जाता है, यानी काल के भी काल। रुद्राभिषेक करने से मृत्यु भय दूर होता है और व्यक्ति को आकस्मिक विपत्तियों से सुरक्षा मिलती है।
मुनिजी कहते हैं कि रुद्राभिषेक केवल बाहरी क्रिया नहीं, बल्कि आंतरिक शुद्धि और शिव से एकाकार होने की प्रक्रिया है। जब हम पूर्ण श्रद्धा और विश्वास से यह अनुष्ठान करते हैं, तो हमारे भीतर शिव तत्व जागृत होता है, जिससे हम चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होते हैं और जीवन में संतुलन प्राप्त करते हैं।
3. रुद्राभिषेक की विधि – कैसे करें यह पवित्र अनुष्ठान?
रुद्राभिषेक एक विस्तृत अनुष्ठान है, जिसे विधि-विधान से करना महत्वपूर्ण है। इसे किसी योग्य पंडित या पुरोहित के मार्गदर्शन में करना सर्वोत्तम होता है, लेकिन सरल रूप से इसे घर पर भी किया जा सकता है।
सामग्री:
- अभिषेक हेतु: जल (गंगाजल या शुद्ध जल), दूध, दही, घी, शहद, चीनी/गुड़, गन्ने का रस, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, चीनी का मिश्रण)।
- अन्य सामग्री: बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल, कनेर के फूल, भांग, चंदन, भस्म, सफेद वस्त्र, जनेऊ, अक्षत (चावल), फल, मिठाई, धूप, दीप।
- पात्र: शिवलिंग, तांबे का कलश/पात्र, अभिषेक के लिए थाली।
मुनिजी सरल शब्दों में विधि समझाते हैं:
- संकल्प: सबसे पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें। फिर शिवलिंग के समक्ष बैठकर हाथ में जल, फूल और चावल लेकर अपनी मनोकामना और रुद्राभिषेक का संकल्प लें।
- गणेश-गौरी पूजन: किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश और माता गौरी का पूजन किया जाता है।
- कलश स्थापना: तांबे के कलश में जल भरकर उस पर नारियल रखें और कलश का पूजन करें।
- शिवलिंग का स्नान और अभिषेक:
- सबसे पहले शिवलिंग को शुद्ध जल से स्नान कराएं।
- फिर क्रमशः दूध, दही, घी, शहद, चीनी (या गन्ने का रस) और अंत में पंचामृत से अभिषेक करें। प्रत्येक द्रव्य अर्पित करते समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते रहें।
- अभिषेक के बाद पुनः शुद्ध जल से स्नान कराएं।
- शृंगार: शिवलिंग को चंदन, भस्म और फूलों से सजाएं। जनेऊ अर्पित करें।
- बेलपत्र और अन्य सामग्री: बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल, भांग आदि श्रद्धापूर्वक अर्पित करें। बेलपत्र पर चंदन से ‘ॐ’ लिखकर चढ़ाना विशेष फलदायी माना जाता है।
- मंत्र जाप: रुद्राभिषेक के दौरान और बाद में महामृत्युंजय मंत्र, रुद्र गायत्री मंत्र, या “ॐ नमः शिवाय” का जाप लगातार करते रहें। यह मंत्रों की ऊर्जा को बढ़ाता है।
- आरती: धूप और दीप जलाकर भगवान शिव की आरती करें।
- भोग: फल और मिठाई का भोग लगाएं।
- प्रणाम और क्षमा याचना: अंत में भगवान शिव को प्रणाम करें और जाने-अनजाने में हुई किसी भी त्रुटि के लिए क्षमा याचना करें।
4. रुद्राभिषेक के प्रकार और विशेष फल
रुद्राभिषेक विभिन्न उद्देश्यों के लिए विभिन्न द्रव्यों से किया जाता है, और प्रत्येक का अपना विशेष महत्व है:
- जल अभिषेक: सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति और शांति के लिए।
- दूध अभिषेक: संतान प्राप्ति, घर में सुख-शांति और दीर्घायु के लिए।
- दही अभिषेक: पशुधन की वृद्धि और मानसिक शांति के लिए।
- घी अभिषेक: रोगों से मुक्ति और स्वास्थ्य लाभ के लिए।
- शहद अभिषेक: कर्ज मुक्ति और धन प्राप्ति के लिए।
- गन्ने का रस अभिषेक: आर्थिक समृद्धि और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए।
- पंचामृत अभिषेक: मोक्ष प्राप्ति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए।
- सरसों का तेल अभिषेक: शत्रुओं पर विजय और बाधा निवारण के लिए।
मुनिजी बताते हैं कि सावन के महीने में रुद्राभिषेक करना विशेष फलदायी होता है, क्योंकि यह शिव का प्रिय मास है और इस समय उनकी कृपा सहज ही प्राप्त हो जाती है। विशेषतः सावन के सोमवार को किया गया रुद्राभिषेक अत्यंत शुभ माना जाता है।
रुद्राभिषेक – शिव से जुड़ने का गहरा माध्यम
कुल मिलाकर, रुद्राभिषेक सिर्फ एक पूजा विधि नहीं, बल्कि भगवान शिव के प्रति हमारी गहरी श्रद्धा, विश्वास और समर्पण का प्रतीक है। यह हमें अपने भीतर की नकारात्मकता को दूर कर शिवत्व (कल्याणकारी स्वरूप) को जागृत करने का अवसर देता है। यह हमें सिखाता है कि जिस प्रकार शिव ने विषपान कर संसार का कल्याण किया, उसी प्रकार हमें भी अपने जीवन में आने वाली चुनौतियों को स्वीकार कर उनका सामना करना चाहिए।
जैसा कि परम पूज्य मुनिजी फलाहारी महाराज जी समझाते हैं, रुद्राभिषेक केवल समस्याओं का समाधान नहीं है, बल्कि यह हमें शिव के करीब लाता है, हमारे मन को शुद्ध करता है और हमें जीवन की कठिनाइयों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। यह शिव से सीधा संवाद स्थापित करने का एक सशक्त माध्यम है।
मुझे विश्वास है कि आप भी इस पवित्र अनुष्ठान के महत्व को समझेंगे और इसका लाभ उठाएंगे। भगवान शिव आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करें।
जय माँ गायत्री। जय सनातन धर्म। जय भोलेनाथ।
Leave a Reply